तेजस के तेज के आगे धूमिल पड़ जाएंगी अन्य ट्रेनें

Source: mnaidunia.jagran.com

Posted by: Friends on 10-07-2016 00:33, Type: New Facilities/Technology

नई दिल्ली। पहली तेजस ट्रेन दो अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर चलने की संभावना है। रेलवे का प्रयास है कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हो।

ज्यादा सुरक्षा और सुविधा के लिए जर्मन टेक्नोलॉजी एलएचबी के आधार पर निर्मित यह पूर्ण वातानुकूलित ट्रेन न केवल शताब्दी से ज्यादा तेज गति से चलेगी, बल्कि अधिक आरामदेह और सुसज्जित भी होगी। करीब 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली तेजस दिल्ली से मुंबई की दूरी 10 घंटे में पूरा करेगी। यह देश में चलने वाली लंबी दूरी की पहली ट्रेन होगी जिसमें मेट्रो की तरह के ऑटोमैटिक दरवाजे होंगे तथा हर सीट पर इंटरटेनमेंट स्क्रीन की व्यवस्था होगी। अधिक किराये की मार से बचाने के लिए इसमें शताब्दी से अधिक सीटों का इंतजाम किया गया है। तेजस को सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

तेजस का लुक सबसे अलग होगा। बाहर से यह कुछ-कुछ महाराजा एक्सप्रेस जैसी दिखेगी। इसके लिए कोच की बाहरी सतह को विशेष विनायल शीट से सजाया गया है। इससे उसे सुविधानुसार रंग-रूप दिया जा सकेगा। एनआइडी, अहमदाबाद से तैयार इसका डिजाइन 'ऊर्जावान भारत' और 'रहस्यमय भारत' जैसे विभिन्न थीम पर आधारित होगा।
तेजस के भीतरी परिदृश्य को बदलने के लिए कई अनोखे उपाय किए गए हैं। मसलन, जगह बचाने के लिए भीतरी दरवाजे भी ऑटोमैटिक हैं। इसी तरह खिड़कियों में आटोमैटिक वेनेशियन ब्लाइंड्स के अलावा प्रत्येक सीट पर एंटरटेनमेंट स्क्रीन के साथ हेडफोन, गैजट सॉकेट आदि की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा विज्ञापनों तथा सूचनाओं के प्रसारण के लिए दीवारों पर एलईडी डिस्प्ले स्क्रीन भी लगाए गए हैं। इन पर सूचनाओं के रियल टाइम प्रसारण के लिए जीपीएस का इस्तेमाल किया जाएगा।

कोच में डिजिटल डेस्टिनेशन बोर्ड और डिजिटल रिजर्वेशन चार्ट की व्यवस्था भी पहली बार की गई है। सुविधानुसार कम-ज्यादा करने वाले रीडिंग लाइट्स, मोबाइल और लैपटॉप चार्जर तो हैं ही। हल्के-फुल्के स्नैक्स और पेय के लिए हर कोच में वेंडिंग मशीन की व्यवस्था भी की गई है। इंटीगे्रटेड ब्रेल डिस्प्ले के जरिए दृष्टिबाधित लोगों की सहूलियत का भी ख्याल रखा गया है।
तेजस में बायो-वैक्यूम टाइप टॉयलेट लगाए गए हैं। इनमें सेंसरयुक्त नलों के साथ-साथ हैंड ड्रायर, टिश्यू पेपर डिस्पेंसर, सोप डिस्पेंसर आदि की व्यवस्था भी की गई है। इसके अलावा ऐसे डस्टबिन लगाए गए हैं जो कांपैक्टिंग प्रक्रिया के जरिए अधिक कचरे का संग्रह करने में सक्षम हैं। तेजस के कोच ज्यादा सुरक्षित भी हैं। इसके लिए हर कोच में सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ फायर एंड स्मोक डिटेक्शन प्रणालियां लगाई गई हैं।