चीन को जवाब देने की तैयारी में जुटा भारत, रेल नेटवर्क से जुड़ेगा अरुणाचल

Source: naidunia.jagran.com

Posted by: Vinod on 05-02-2017 23:37, Type: New Facilities/Technology , Zone: Northeast Frontier Railway)

नई दिल्‍ली। चीन से लगी अरुणाचल प्रदेश की सीमा और सीमा पार हो रही गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने भी इस दिशा में काम करने का मन बना लिया है। सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने और राज्‍य के लोगों की सहुलियत को देखते हुए यहां पर अब रेल नेटवर्क बिछाने पर काम किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने तवांग तक रेल नेटवर्क तैयार करने का ब्‍लू प्रिंट तैयार किया है।

जल्‍द शुरू होगा सर्वे का काम
देश के अन्य इलाकों से जोड़ने के लिए रेलवे यहां के सर्वे का काम भी जल्‍द ही शुरू कर देगा। शुरुआती चरण में यहां पर तीन ट्रैक तैयार करने की योजना है। रेल मंत्रालय के मुताबिक इस बड़े और अहम प्रोजेक्‍ट पर करीब 50 से 70 हजार करोड़ रुपये तक की लागत अनुमानित लागत आएगी।

तीन रेल ट्रेक बनेंगे
केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन ने इस बाबत कहा कि रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर हम सीमा तक रेल नेटवर्क के विस्तार की तैयार कर रहे हैं। तीन नई रेलवे लाइनों के लिए हमने सर्वे करने शुरू कर दिया है। ये तीन रेल लाइनें भालुकपुंग से तवांग, सिलाफाटर से बामा और मुर्कोंगसेलेक से पासीघाट होते हुए रूपई तक हैं। इसके बाद इनका भी विस्‍तार किया जाएगा।

भौगोलिक स्थिति की लेंगे जानकारी
नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के जनरल मैनेजर (कंस्ट्रक्शन) एचके जग्गी ने कहा कि ट्रैक की ऊंचाई 500 से 9000 फीट तक की होगी। उन्‍होंने इस काम में मुश्किलों का जिक्र करते हुए यह भी बताया कि ट्रेक बिछाने से पहले यहां की मिट्टी की स्थिति और जियॉलजिकल की जानकारी ली जाएगी।

रेल नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी
रेलवे इस परियोजना के जरिए पूरे अरुणाचल प्रदेश को ही रेल नेटवर्क से जोड़ने की तैयारी में है। 1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में डूमडूमा से सिमालगुड़ी, नामसाइ औक चौउखाम होते हुए वाकरो (96 किमी), डांगरी से रोइंग (60 किमी), लेखापानी से नामपोंग (75 किमी) लाइनों का सर्वे किया जाएगा। इसके अलावा तिनसुकिया से पासीघाट तक 300 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनेगा। चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता रहा है। ऐसे में भारत की ओर से अरुणाचल में रेल ढांचा मजबूत करना रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है